प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सादगीपूर्वक मां की अंत्येष्टि क्रिया करके देश-दुनिया में एक नजीर स्थापित कर दी

 

@ मनोज गोयल, पार्षद/समाजसेवी

देश में करोड़ों माताओं के सम्मान की पुनर्वापसी की प्रतीक समझी जाने वालीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता जी हीरा बेन मोदी के गोलोक गमन की खबर सुनकर जब समस्त देशवासी शोकमग्न हो गए, तब सहसा सबके मन में यह विचार आया होगा कि आज तो उनका पार्थिव शरीर कहीं अंतिम दर्शन के लिए रखा जायेगा। फिर जैसा अन्य राजनेताओं के परिवारीजन की मृत्यु के बाद जैसा कि अबतक होता आया है कि राजसी तरीके से अंतिम संस्कार होगा, जिससे पूरा अंतिम संस्कार का कार्यक्रम सियासी हो जाएगा।

लेकिन ऐसा सोचते सोचते जब टेलीविज़न ऑन किया तो देखा सादगी, सद्भावना और सभ्यता-संस्कृति के प्रतिमूर्ति नरेंद्र मोदी जी, जो अपनी माँ में अगाध श्रद्धा और प्रेम रखते थे और उसके सार्वजनिक प्रदर्शन से भी नहीं हिचकते थे ताकि युवा वर्ग भी मातृ भक्ति की प्रेरणा ले सके, अपने सहोदर भाई पंकज मोदी अन्य परिवारी जनों के साथ माँ के पार्थिव शरीर को लेकर बिल्कुल सामान्य व परम्परागत तरीके से लेकर श्मशान घाट पहुंच चुके हैं, तो सहसा विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जो लोग उन्हें करीब से जानते हैं, उनकी सादगी से प्रभावित हैं, ने यह महसूस किया कि इतनी सामान्य अंत्येष्टि क्रिया तो आजकल मध्यम वर्गीय आमलोगों के परिवारों में भी देखने को नहीं मिलती हैं।

इसलिए सम्बन्धित टीवी-प्रिंट चित्र देखकर सहसा विश्वास नहीं होता कि विश्व के इतने बड़े नेता ने अपनी माँ को सामान्य संस्कारगत बाँस और घास की अर्थी के सहारे कंधा देकर चल रहे हैं, जैसे कोई मोहल्ले या कॉलोनी में शांत हो गया हो। पीएम मोदी को अपनी मां से जितना लगाव रहा और उनके जीवन से मिली शिक्षा को जैसे उन्होंने समय-समय पर अनुभूति पूर्वक अभिव्यक्त किया, उससे तो यही लगा कि यह भी उनका एक मौन संदेश है, समय संकेत है। वाकई न भूतो, न भविष्यति, इतनी सादगी पूर्वक अंत्येष्टि क्रिया संपन्न होगी। यहां पर यह सोचना स्वाभाविक है कि ये सब कुछ प्रधानमंत्री मोदीजी की इच्छा से ही हुआ होगा और है। यह हमारे समाज के लिए एक आदर्श स्थिति है, जो देखा-देखी धन-वैभव के प्रदर्शन की परंपरा को समाप्त करने की दिशा में एक नजीर साबित होगी और सत्पुरुषों के द्वारा दी जाएगी।

देखा जाए तो अपने इस सामान्य आचरण से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करोड़ों भारतीयों का न केवल दिल जीत लिया, बल्कि इस हेतु अब तक की जातीं रहीं आपाधापी की एक अंतहीन परम्परा पर भी एक अल्प विराम लगा दिया। उनके इस कदम से सामाजिक व सभ्यतागत सामाजिक भ्रष्टाचार पर भी रोक लगने/लगाने का संकेत उन्होंने प्रदर्शित कर दिये हैं। ऐसे अद्भुत व्यक्तित्व को जन्म देने वाली, सादगी, सहजता और नारीत्व की प्रतिमूर्ति माँ हीरा बा की परम् पावन पुण्य आत्मा को…..शत शत नमन…. विनम्र श्रद्धांजलि।

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