वंदना सिंह
लगभग सभी बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी माह में प्रारंभ हो रही हैं।यह परीक्षा जितनी बच्चों की तैयारियों की है उतनी ही अभिभावकों की भी है। अभिभावकों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। प्रायः देखा जाता है कि बच्चों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद लगाए अभिभावक अक्सर बच्चों पर अच्छे मार्क्स लाने के लिए दबाव बनाते हैं और अनजाने में ही दूसरों से तुलना करके उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करते हैं। इससे न केवल बच्चों का मनोबल गिरता है बल्कि परीक्षा के प्रति उनका कॉन्फिडेंस भी काफी कम हो जाता है। जिससे चाहकर भी बच्चा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाता हैं। उन पर इतना दबाव बनाना कहीं से भी ठीक नहीं है। बच्चों को आप अच्छे से परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें पढ़ाएं उनकी काउंसलिंग करें। उनकी समस्याओं का समाधान करें। लेकिन अधिक नंबर या परसेंटेज लाने के लिए उन्हें दबाव में न डालें। बस उन्हें बेहतर ढंग से परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित करते रहें। इससे तनाव मुक्त हो करके अपनी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।जब बोर्ड परीक्षा आती है तो छात्रों और अभिभावकों दोनों में समान रूप से तनाव का स्तर दोगुना हो जाता है।
बोर्ड परीक्षा का तनाव और चिंता कक्षा 10 और 12 के छात्रों और उनके माता-पिता के लिए समान रूप से सामना करने वाली एक परीक्षा की घड़ी बन गई है।परीक्षा एक छात्र के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है।इसलिए, इससे घबराने के बजाय, छात्रों को बोर्ड परीक्षा को अपनी शैक्षिक यात्रा में एक मील के पत्थर के रूप में देखना चाहिए।माता-पिता को अपने बच्चे को बोर्ड परीक्षाओं के लिए तनाव-मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद करने में एक प्रमुख भूमिका निभानी होती है।यह देखा गया है कि परीक्षा से पहले और परीक्षा के दौरान तनाव छात्रों के प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करें और परिवार और दोस्तों की अपेक्षाओं से विचलित होने से बचें।बेहतर प्रदर्शन के लिए शांत रहना और स्वस्थ रवैया बनाए रखना आवश्यक है।समय प्रबंधन एक कौशल है जो परीक्षा की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।समय के अंदर प्रश्न पत्र हल करने के अभ्यास से छात्रों को समय के अंदर प्रश्न पत्र हल करने में मददगार होता है।इससे उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद भी मिलती है। परीक्षा में भी बच्चों को पर्याप्त नींद लेने, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि में शामिल होने और पौष्टिक भोजन करने चाहिए। योजना बद्ध लक्ष्य निर्धारित करने से गति बनाए रखने में बहुत मदद मिलती है इसलिए, दैनिक और साप्ताहिक अध्ययन लक्ष्य निर्धारित करके, छात्र उन विषयों पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो उन्हें कठिन लगते हैं और प्रश्नों का अभ्यास करने के लिए अधिक समय देते हैं।परीक्षा देना एक कला है। परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने के लिए प्रत्येक छात्र की अपनी अलग रणनीति होती है।डायग्राम और चित्रों पर आधारित प्रश्नों का पहले से ही अभ्यास कर लेना चाहिए।जो अधिक अंक के प्रश्न हो और बेहतर तैयार हो पहले उन्हें कर लेना चाहिए।
कोशिश यह रहे कि समय के अभाव में कोई प्रश्न छूटे नहीं।इसके बावजूद अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि महज परीक्षा के अंक ही सब कुछ नहीं होते हैं।इसलिए बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाना ठीक नहीं होता है। बच्चों के अंदर परीक्षा का डर ना बैठायें। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें आराम करने का पूरा अवसर दें ।उन्हें अपनी परीक्षा की बेहतर ढंग से तैयारी करने की कार्य योजना में मदद करें।पढ़ाई के लिए कोई समय सीमा न निर्धारित करें।मन लगाकर जितने समय वह पढ़ सके पढ़ने दें और बीच-बीच में उनके लिए आराम भी सुनिश्चित करवाएं।परीक्षार्थियों के खानपान पर भी अभिभावकों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। उन्हें सुपाच्य भोजन, फल, जूस आदि पर्याप्त मात्रा में देते रहें ।जिससे उनकी क्षमता प्रभावित न हो। अब अभिभावकों को भी अपनी भूमिका बेहतर ढंग से निभाने की आवश्यकता है।घर में पढ़ाई का माहौल बनाए रखें।इस दौरान शादी विवाह या अन्य आयोजनों में बच्चों का जाना अवाएड करें तो बेहतर होगा। कार्यक्रमों में अभिभावक भी एक सीमित भागीदारी करें नहीं तो बच्चों का चंचल मन बहुत जल्दी दूसरी तरफ डायवर्ट हो जाता है।
बच्चों की कमजोरियों का भी दूसरे के सामने न प्रकट करें न ही उपहास उड़ाए। बल्कि उन्हें एकांत में बैठा करके उसे दूर करने का प्रयास करें। उनकी थोड़ी सी भी नाराजगी बच्चों की आलोचना या नकारात्मक कमेंट बच्चों के कंसंट्रेट को बिगाड़ने के लिए पर्याप्त होता है। बच्चों को उच्च मनोबल और उत्साह से परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित करें। निसंदेह इससे वह बेहतर कर पायेंगे।
(लेखक चन्द्र शेखर आजाद इंटर कालेज सोरांव प्रयागराज में प्रवक्ता हैं)