योगी ने हेल्थ सेक्टर के लिए चुनावी वायदे तो बहुत किये, लेकिन स्वास्थ्य बजट में कर दी भारी कटौती: डॉ बी पी त्यागी

  •  योगी ने स्वास्थ्य बजट में अविलम्ब सुधार नहीं किया तो 2024 में भाजपा को वोट नहीं दूंगा: डॉ बी पी त्यागी

कमलेश पांडेय
गाजियाबाद। हर्ष अस्पताल के संचालक व प्रसिद्ध ईएनटी विशेषज्ञ डॉ बी पी त्यागी ने उत्तरप्रदेश की योगी सरकार द्वारा पेश यूपी बजट से इतनी गहरी नाराजगी जताई है कि धुर भाजपा समर्थक होने के बावजूद उन्होंने वर्ष 2024 में भाजपा को ही वोट नहीं देने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने यूपी बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि इस बजट में चिकित्सा जगत की घोर उपेक्षा की गई है। यही नहीं, अन्नदाता किसानों का ध्यान भी बजट में नहीं रखा गया है।

डॉ बी पी त्यागी ने कहा कि योगी सरकार ने बजट में चिकित्सा क्षेत्र को महज 12650 करोड़ रुपए ही दिए हैं, जो कि पिछली बार के बजट से आधे से भी कम है। जहां बढ़ती महंगाई व जनसंख्या के मुताबिक पिछले वर्ष के अनुरूप कुछ बजट बढ़ोतरी होती, तो ऐसा करने के बजाय बजट आकार को ही आधा कर दिया है, जो हैरत की बात है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी को देखते हुए महज 12650 करोड रुपए का बजट प्रावधान उंट के मुंह में जीरा के समान है। इतने कम बजट से आम आदमी को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाएगी।

उन्होंने आक्रोश जताया कि सरकार के इस कदम से चिकित्सा पूरी तरह से प्राइवेट सेक्टर पर निर्भर हो जाएगी, जिससे आम जनता को इलाज कराने के लिए या तो अपना घर-खेत आदि बेचने पड़ेंगे या फिर मरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने बड़े ही दिलचस्प अंदाज में योगी सरकार की चुनावी जुमलेबाजी और बजट प्रावधानों के हकीकत को उंगलियों पर गिना दिया है।

उन्होंने खुलासा किया कि एक ओर अपने चुनाव घोषणा पत्र (मैनिफेस्टो) में भाजपा ने जिस प्रकार हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने, 1 हजार पैरा मेडिकल खोलने, 6 हजार से अधिक डॉक्टरों की नियुक्ति करने आदि घोषणाएं की थी, उसे देखते हुए तो सिर्फ चिकित्सा क्षेत्र को ही 17 लाख करोड रुपए की दरकार है, लेकिन यहां तो पूरा बजट ही मात्र 7 लाख करोड़ रुपये का है।

उन्होंने आंकड़े की पैंतरेबाजी को स्पष्ट करते हुए बताया कि गत यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जो मेनिफेस्टो जारी किया था, उसके मुताबिक हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने का मतलब है कि एक मेडिकल कॉलेज को खोलने में आने वाले औसतन खर्च 1000 करोड़ को 75 जिलों से गुणा करना, यानी 75000 करोड़ रुपये की व्यवस्था करना।

वहीं, 6000 विशेषज्ञ डॉक्टर की बहाली के लिए प्रत्येक डॉक्टर का प्रति माह वेतन यदि 2 लाख रुपये भी रखा जाए तो प्रति माह उनके वेतन पर (6000×200000) 12000 लाख रुपये (120 करोड़ रुपये ) और प्रति वर्ष उनके वेतन पर (12×12000 लाख) 144000 लाख रुपये (1440 करोड़ रुपये) खर्च होंगे। इसी तरह 1000 पैरामेडिकल के इतने ही पैरामेडिक्स को यदि प्रति पैरामेडिक्स 40000 रुपये के हिसाब वेतन दिया जाए तो कुल 4 करोड़ रुपये और प्रतिवर्ष 48 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

वहीं, धन्वंतरि गार्डन के लिए 30,000 करोड़ रुपये, पुराने अस्पतालों की मरम्मत के लिए 10,000 करोड़ रुपये, हर जिले में 4 अच्छी तरह से सुसज्जित एंबुलेंस यानी 300 एम्बुलेंस में से प्रति एम्बुलेंस यदि 20 लाख रुपये खर्च किया जाए तो कुल 60 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी तरह यदि 75 जिला में 1-1 डायलिसिस केंद्र पर प्रति केंद्र यदि 1 करोड़ रुपये खर्च किये जायें तो कुल 75 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं, 75 जिलों के लिए फ्री कोचिंग सेंटर पर 37 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं, उत्तर प्रदेश में हर गांव के लिए जिम और खेल का मैदान देने के नजरिए से 75000 गांव में से यदि प्रत्येक गांव पर 10 लाख रु खर्च किये जायें तो कुल 750000 लाख यानी 7500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
वहीं, इसी प्रकार छात्रों को 2000 करोड़ टैबलेट और स्मार्ट फोन बांटने पर यदि 2000 को 10000 से गुणा किया जाए तो कुल 2 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

इस तरह से सबको यदि जोड़ दिया जाए तो 75000 करोड़ + 1440 करोड़ + 48 करोड़ + 30000 करोड़ +10000 करोड़ + 60 करोड़ +75 करोड़ + 37 करोड़ +7500 करोड़ + 2 करोड़ =1,24,162 करोड़ रुपये कुल खर्च विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के स्थायी घोषणापत्र के रूप में किये गए वायदों पर ही आ जायेगा। जबकि यूपी बजट में मात्र 12650 करोड़ का प्रावधान किया गया है। चूंकि चुनाव घोषणा पत्र 5 साल के लिए होता है, इसलिए यदि हम 12650 करोड़ को 5 से गुणा कर दें तो 63250 करोड़ रुपये ही सरकार इस क्षेत्र पर खर्च कर पायेगी। इससे स्पष्ट है कि योगी जी का गणित बड़ा खराब है या फिर लोगों को दीवाना बनाने के लिए घोषणा पत्र दिया जाता है।
बहरहाल, गाजियाबाद का सरकारी अस्पताल 10 दिन से बिजली की किल्लत से जूझ रहा है, जिससे रोगियों और चिकित्सकों की परेशानियों को समझा जा सकता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के लिए भी बजट में कुछ नहीं किया गया है। आज खाद, कीटनाशक, डीजल आदि के दाम कई गुना बढ़ चुके हैं, लेकिन किसानों की फसल के दाम नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्हें अपने बकाये का भुगतान तक नहीं मिल पा रहा है। कुल मिलाकर योगी सरकार ने किसानों के लिए सिर्फ आत्महत्या करने का ही रास्ता छोड़ा है।

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