- यह एक ऐसा प्रभावशाली बजट है, जिसकी पृष्ठभूमि पिछले लगभग एक दशक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मातहत कार्य कर चुके या कार्य कर रहे विभिन्न वित्त मंत्रियों द्वारा तैयार की जाती रही है, जिसकी गति कोरोना काल में थोड़ी थमी जरूर, लेकिन नए बजट प्रस्तावों से यह बात जगजाहिर हो चुकी है कि अब राष्ट्रीय प्रगति को एक नई रफ्तार अतिशीघ्र मिलेगी।
@ राजकुमार सिंह/उद्यमी, समाजसेवी एवं भाजपा नेता
आम बजट 2023-24 प्रायः सभी व्यक्ति की उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा उतरा है। क्योंकि इसमें देश के किसानों, मजदूरों, कारीगरों, पेशेवरों, उद्यमियों, युवाओं, महिलाओं, पुरुषों व बुजुर्गों के हितों का बखूबी ख्याल रखा गया है। चाहे गरीब हों, या मध्यम वर्ग या फिर अमीर व सम्भ्रांत लोग, इसमें सबके हितों का एक संतुलन दिखाई देता है। इसलिए इसे सर्वसमावेशी बजट कहना ज्यादा न्यायोचित होगा।
दरअसल, यह एक ऐसा प्रभावशाली बजट है, जिसकी पृष्ठभूमि पिछले लगभग एक दशक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मातहत कार्य कर चुके या कार्य कर रहे विभिन्न वित्त मंत्रियों द्वारा तैयार की जाती रही है, जिसकी गति कोरोना काल में थोड़ी थमी जरूर, लेकिन नए बजट प्रस्तावों से यह बात जगजाहिर हो चुकी है कि अब राष्ट्रीय प्रगति को एक नई रफ्तार अतिशीघ्र मिलेगी।
कमोबेश यही नए भारत की आकांक्षा है। अमृत काल की जरूरत है। जिसको बजट की सप्तऋषि प्राथमिकताएं बिल्कुल स्पष्ट कर देती हैं। सच कहूं तो इसका पूरा श्रेय केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जाता है, जिन्हें अपने मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण जगह देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सफल सियासी जौहरी होने का परिचय दिया है। अन्य मंत्रीगण भी अपने अपने क्षेत्र में इस बात की पुष्टि कर चुके हैं। तभी तो उनकी अगुवाई में देश-समाज धन्य है और शेष दुनिया के लोग भी उनके नेतृत्व को आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं।
केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आगामी 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए गत एक फरवरी को अपना पांचवां आम बजट पेश किया। जिसे कुछ लोग अज्ञानतावश भले ही चुनावी बजट करार दे रहे हैं, लेकिन उन्हें यह पता होना चाहिए कि यह एक व्यवहारिक बजट है, जिसमें रेवड़ियों से बचते हुए सबकी जरूरतों और देश की बुनियादी आवश्यकताओं का ख्याल रखा गया है, ताकि अमृत काल को लेकर संजोए जा रहे सपने साकार हो सकें।
वजह यह कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले साल एक और अंतरिम बजट वित्त वर्ष 2024-25 पेश करेंगी, जिसके बाद ही चुनाव होंगे। उस बजट को चुनावी बजट समझा जा सकता है, क्योंकि वर्ष 2019 के अंतरिम बजट में ही किसान सम्मान निधि का प्रावधान किया गया था, जिसके चलते मोदी टू सरकार का मार्ग प्रशस्त हो गया। इसलिए वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में चुनावी दृष्टि से क्या करिश्मा किया जाएगा, इस सम्बन्ध में अभी अटकलें लगाते रहिए। क्योंकि मोदी थ्री सरकार का मार्ग सरकार की जनहितकारी नीतियां प्रशस्त कर चुकी हैं।
जहां तक आम बजट 2023-24 की खूबियों की बात है तो यह स्पष्ट है कि ताजा बजट मोदी सरकार का 11वां और केन्द्र सरकार के मौजूदा कार्यकाल का पांचवां बजट था, जिस पर पूरे देश की नजरें इनायत थी। क्योंकि आम आदमी और मध्यम वर्ग, दोनों को इस बजट से ढेर सारी उम्मीदें थीं, जिसे वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़े ही चतुराई से पूरा किया।
यहां पर यह कहना समीचीन होगा कि भले ही कुछ लोगों द्वारा यह माना जा रहा था कि इस वर्ष होने जा रहे कई विधानसभा चुनावों के साथ-साथ अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आम बजट में आम जनता के लिए विभिन्न राहतों का पिटारा खोला जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ दिखा नहीं। हां, उनकी ये उम्मीदें पूरी तरह से बेकार भी नहीं गईं। क्योंकि केंद्र सरकार ने 45 लाख करोड़ रुपये के खर्च का जो बजट प्रस्तुत किया है, उसमें सरकार की पावतियां तो मात्र 23.3 लाख करोड़ रुपये की ही होंगी।
वहीं, बजट के भारी-भरकम घाटे को पूरा करने के लिए सरकार विभिन्न प्रकार के विनिवेश के जरिये लगभग 51 हजार करोड़ रुपये की धनराशि जुटाएगी। बावजूद इसके सरकार को 15 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा के बाजार से ऋण लेने पड़ेंगे और बाकी की कमी को लघु बचतों के जरिये पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
इस प्रकार से आम बजट के विभिन्न प्रावधानों को देखते हुए यह मालूम होता है कि जहां सकल विकास वृद्धि यानी जीडीपी में बढ़ोतरी के लिए तकरीबन 10 लाख करोड़ रुपये की धनराशि पूंजीगत खाते से खर्च करके सरकार देशभर में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ-साथ औद्योगिक उत्पादन को भी बढ़ावा देना चाहती है। वहीं इस हेतु वह छोटे व मध्यम उद्योगों को शुल्क ढांचे में रियायतें देकर यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि वे अपने उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। सभी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती में सहभागी बनें, जो कि आज की बहुत बड़ी जरूरत समझी जा रही है।
इस नजरिए से परखा देखा जाए तो आम बजट में विभिन्न क्षेत्रों को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण आम जनता को आयकर की दरों में राहत दिया जाना और उसे प्रासंगिक बनाना है। क्योंकि पिछले 8 वर्षों से आयकरों के दरों में बदलाव की मांग मध्यम वर्ग द्वारा की जा रही थी। इसलिए नई कर व्यवस्था में आयकर सीमा में छूट को पांच लाख से बढ़ाकर सात लाख किए जाने से न केवल छोटे करदाताओं को बहुत बड़ी राहत मिलेगी।
हालांकि पुरानी कर व्यवस्था भी लागू रहेगी, जिसके तहत अभी भी 80सी, पीएफ, आवासीय कर्ज के मूलधन और ब्याज के भुगतान इत्यादि पर छूट हासिल की जा सकती है, जो नई कर व्यवस्था में नहीं मिलेगी। हालांकि इस छूट के बगैर भी सात लाख तक की आय का करमुक्त होना करोड़ों करदाताओं को सीधे तौर पर लाभान्वित करेगा। वहीं, इस वर्ष से इस नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट व्यवस्था बना दिया गया है, क्योंकि करदाताओं को पुरानी कर व्यवस्था से नई कर व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रेरित करना सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रही है।
वहीं, बजट में महिलाओं और बुजुर्गों का भी खास ध्यान रखने का प्रयास किया गया है। वरिष्ठ नागरिकों की बचत सीमा को 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख रुपये करने, गैर सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अवकाश नकदीकरण पर मिलने वाली छूट को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की घोषणा, महिला सम्मान सेविंग सर्टिफिकेट की घोषणा इत्यादि से भाजपा के प्रति एक सकारात्मक माहौल में इजाफा करेंगी।
वहीं, बजट में कई ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं, जो स्पष्ट तौर पर लोगों को भाजपा सरकार की नीतियों के प्रति एक स्वस्थ संदेश देते प्रतीत होते हैं। देश के 80 करोड़ लोगों को जनवरी 2024 तक मुफ्त अनाज योजना मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। भाजपा को इस योजना का बड़ा सियासी लाभ भी मिलता आया है।
वहीं, गरीबों के लिए चलाई जा रही आवास योजना, पेयजल योजना और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना इत्यादि के आवंटन में बड़ी वृद्धि, आदिवासियों के लिए 15 हजार करोड़ की नई योजना आदि कई ऐसी घोषणाएं हैं, जो देश के निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को भी आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
जहां तक प्रधानममंत्री आवास योजना की बात है तो यह मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है, जिसके लिए 2022-23 के बजट में 48 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। लेकिन इस बार के बजट में उसे 66 फीसदी बढ़ाकर 79500 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत 2024 तक करीब 2.94 करोड़ गरीब लोगों को घर मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2.94 करोड़ में से 2.12 करोड़ घरों का निर्माण पूरा हो चुका है, जो गरीबों को सौंपे भी जा चुके हैं।
वहीं, जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने और उनके निवास स्थल को बुनियादी सुविधाओं से युक्त बनाने के लिए ‘प्रधानमंत्री विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह’ (पीएमपीवीटीजी) विकास मिशन की घोषणा करते हुए इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपये का खाका पेश किया गया है। जिससे अनुसूचित जातियों-जनजातियों वाले मतदाता क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की झलक बजट में साफ नजर आ रही है।
वहीं, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अभी तक देशभर में करीब साढ़े चार करोड़ गरीब लोग मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठा चुके हैं। इस योजना में आवंटन को पिछले साल के 6457 करोड़ रुपये के बजट से बढ़ाकर 7200 करोड़ कर दिया गया है। वहीं, जल जीवन मिशन के लिए बजट को पिछले साल की तुलना में 60 हजार करोड़ से बढ़ाकर 70 हजार करोड़ रुपये किया गया है, जिसके तहत 2024 तक देश के सभी 20 करोड़ परिवारों तक पीने का साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। क्योंकि जल और जनस्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक समझे जाते हैं।
वहीं, ‘स्किल इंडिया मिशन’ के तहत बजट में डिजिटल प्लेटफार्म की घोषणा की गई है, जिसके जरिये उद्यम और रोजगार की ट्रेनिंग देने, नियोक्ताओं तक युवाओं की सीधी पहुंच बढ़ाने को लेकर होने वाला कार्य लाखों युवाओं के बीच सरकार के प्रति समर्थन बढ़ाने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, डिजिटल लाइब्रेरी के साथ शिक्षकों की ट्रेनिंग की घोषणा भी युवाओं में सकारात्मक माहौल बनाने में मददगार हो सकती है। वहीं, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के बजट में भी पिछले बजट 5943 करोड़ रुपये की तुलना में करीब तीन गुना बढ़ोतरी की गई है।
वहीं, किसानों को अधिक धन उपलब्ध कराने के लिए बजट में 20 लाख करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना घोषित करके सरकार ने कृषि क्षेत्र को विविधीकरण के जरिये ज्यादा आय अर्जित करने के लिए उद्यत किया है। इसने किसानों की नई पीढ़ी को कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाने के लिए भी प्रेरित किया है।
हालांकि, इस बार मनरेगा के बजट में बड़ी कटौती की गई है, जिससे मजदूरों को कुछ कम फायदा मिलेगा। लेकिन उनके रोजगार के लिए अन्य मजबूत उपाय किये गए हैं, जिससे उन्हें ज्यादा लाभ मिलेगा। बता दें कि मनरेगा के लिए पिछले बजट में 73 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन इस साल यह घटाकर 60 हजार करोड़ कर दिया गया है।
वहीं, आधारभूत ढांचागत क्षेत्र के विकास से लेकर प्रदूषण मुक्त ऊर्जा तथा ईंधन के क्षेत्र को खास वरीयता दी गई है। क्योंकि सरकार का लक्ष्य इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाकर भविष्य की मुश्किलों को आसान करना और भावी पीढ़ी को सुरक्षित ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराना है। इस प्रकार कुल मिलाकर मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का यह आखिरी पूर्ण बजट है, जो एक हद तक संतुलित बजट है। इसमें आम आदमी की अधिकतर जरूरतों का ध्यान रख गया है, ताकि यह आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतरे।