स्वामी दीपांकर मांग रहे हैं जातियों में विभाजित सनातनियों के एक होने की भिक्षा

कमलेश पांडेय/विशेष संवाददाता

देववृंद, सहारनपुर/गाजियाबाद/नई दिल्ली। महाकालेश्वर ज्ञान आश्रम, मन्दिर देवी कुंड के अधिष्ठाता सुप्रसिद्ध संत ब्रह्मानंद सरस्वती जी के प्रिय शिष्य और ध्यान गुरु अंतरराष्ट्रीय स्वामी दीपांकर जी महाराज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वो एक चर्चित आध्यात्मिक राजनेता और धर्म प्रभावना करने वाले एक अच्छे प्रस्तोता और टीवी का बहुचर्चित चेहरा भी माने जाते हैं। हाल ही में वो एक बार फिर वो चर्चा में तब आये, जब उन्होंने अपनी “भिक्षा यात्रा” शुरू की है।

देखा जा रहा है कि इस यात्रा में वो जगह-जगह पर इस बात की भिक्षा मांग रहे हैं कि आप खुद को सनातनी कहिए, हिंदू कहिए। जातिवाद तोड़िये यानी जातीय ग्रंथी से मुक्त होइए।साथ ही अपने नाम के आगे ‘सनातनी’ उपनाम जोड़िए, या फिर ‘हिन्दू’ उपनाम जोड़िए। वहीं, माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्वीटर पर भी उन्होंने इस आशय का एक अभियान छेड़ दिया है। उनके द्वारा शुरू किए गए इस अभियान को लोगों ने तवज्जो देनी भी शुरू कर दी है और अपने नाम के आगे सनातनी या हिन्दू शब्द जोड़ना शुरू कर दिया है। इससे आध्यात्मिक जगत में खलबली मची हुई है कि कहीं स्वामी दीपांकर अपनी रेस में तमाम हिन्दू सन्तों को कहीं पीछे नहीं छोड़ दें। क्योंकि उनकी बहुमुखी प्रतिभा देख प्रतिस्पर्धी सन्तों की भी सिट्टी-पिट्टी गुम रहती है।

अपनी भिक्षा यात्रा में उन्होंने लोगों से यह भी आह्वान किया है कि आप अपने समाज जैसी छोटी-मोटी सोच से आगे बढ़िए और पूरे हिंदुस्तान के भले की सोचिए। आप समस्त हिन्दुस्तान की बात कीजिए, समग्र सनातनियों की बात कीजिए और समूचे हिंदुओं की बात कीजिए। अब भी वक्त है कि आप एकजुट हो जाइये, अन्यथा तेजी से बदलता यह वक्त आपको माफ नहीं करेगा, बल्कि मौका मिलते ही साफ कर देगा। क्योंकि आपके खिलाफ अत्याचार करने वाली ताकतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजूट हो रही हैं। इसलिए उनके कुत्सित इरादों से मुक्ति के खातिर आपको भी एकजुट होना पड़ेगा।

आगे उन्होंने देवबंद को देववृंद कहने का आह्वान किया और कहा कि जातिवाद को तोड़ो और सनातनियों से नाता जोड़ो। इसी भावना में पूरे राष्ट्र का हित निहित है। बता दें कि अपने नाम के आगे हिन्दू जोड़ने का आह्वान तो पुराना है, जिसे योगी समर्थक कुलदीप हिन्दू ने काफी आगे बढ़ाया। हालांकि आपसी संगठन की एका में फूट पड़ने के बाद इस अभियान ने दम तोड़ दिया। हालांकि, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में कुलदीप हिन्दू के काफी समर्थक अपने नाम के आगे हिन्दू लिखना शुरू कर चुके थे, जो अब भी जारी है। इसलिए इस बात की सम्भावना बलवती है कि स्वामी दीपांकर के नेतृत्व में खुद को सनातनी या हिन्दू कहने का अभियान देशव्यापी रफ्तार पकड़ सकता है। क्योंकि यह देश व देशवासी अपने सन्तों का काफी सम्मान करते हैं और जिस तरह से उनसे सनातनी या हिन्दू उपनाम की भिक्षा मांगी जा रही है, उसके परिप्रेक्ष्य में सिर्फ यही कहा जा सकता है कि यदि उनकी झोली भर जाए तो किसी को हैरत नहीं होगी।

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