कामयाबी: यह आधी आबादी के हौसलों की उड़ान है……….

समाज की पुरुष-प्रधान मान्यताओं को बीते कई दशकों से महिलाओं ने चुनौती देते हुए हर क्षेत्र में स्वयं को स्थापित किया है। यही इस बार उत्तर प्रदेश पीसीएस परीक्षा 2022 में हुआ है।उत्तर प्रदेश पीसीएस 2022 के परिणाम ने आधी आबादी को एक नया हौसला दे दिया है। टॉप 10 में 8 महिलाओं ने बाजी मारी है जो उनके हौसलों के लिए वरदान साबित होगी। कुल 364 पदों पर 110 महिलाओं ने पीसीएस में अपना परचम लहराया है। इसी के साथ प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, आगरा जनपद की सफलता के प्रतिशत ने भी यहां के पुराने गौरव को लौटने का संकेत भी दे दिया है। पीसीएस परीक्षा की टापर भी एक महिला दिव्या सिकरवार रही हैं। प्रथम चारों स्थानों पर महिलाओं ने कब्जा किया। पहले स्थान पर दिव्या सिकरवार के अलावा दूसरे नंबर पर लखनऊ की प्रतीक्षा पांडेय हैं। तीसरे नंबर पर बुलंदशहर की नम्रता सिंह हैं। चौथे नंबर पर उत्‍तराखंड की आकांक्षा गुप्‍ता हैं।दिव्या की सफलता इस लिए और महत्वपूर्ण हो जाती है कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के यह प्रतिष्ठित परीक्षा को टाप किया है। इन सबसे यह भी साबित हो जाता है कि सफलता कभी भी सुविधाओं और संसाधनों की मोहताज नहीं होती है। बस कुछ कर गुजरने का जज्बा मन में होना चाहिए। इसमें कई लड़कियां बेहद साधारण परिवार से हैं। जिन्होंने ने अपनी मेहनत के दम पर यह सफलता प्राप्त की है। वैसे महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं। हर प्रकार की नौकरी में अपनी भागीदारी बढ़ाई है। परन्तु उत्तर प्रदेश पीसीएस की इस बार की परीक्षा में उनकी सफलता और पोजीशन ने तो इतिहास ही रच दिया है। अब बड़े प्रशासनिक पदों पर भी महिलाएं अपनी बुद्धि, विवेक, क्षमता से अपने को साबित कर रहीं हैं। इस धारणा को भी महिलाओं ने बदल दिया है कि यह बड़ा पद महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं हैं। पहले जहां बहुत कम प्रशासनिक अधिकारी के रूप में महिलाएं दिखती थी। अब वहीं पर हर जिले में आपको एसडीएम के पद पर वीडियो के पद पर महिलाएं मिल जाएंगी। हर दो चार जिले के बीच में आपको महिला जिला अधिकारी भी मिल जाएगी। आज प्रशासनिक स्तर पर महिलाओं ने अपनी योग्यता से अपने को साबित किया है और अपनी लगन मेहनत एवं इच्छाशक्ति से वह आगे बढ़ रही हैं। सिर्फ प्रशासनिक पदों पर ही नहीं इधर देखा जा रहा जुडिशियरी में भी महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी हुई है। पहले जहां महिलाओं के लिए सिर्फ शिक्षिका की नौकरी को ठीक मानकर वहीं करने को कहा जाता था परंतु अब तो उन्हें हथियारों के साथ सीमा की सुरक्षा के लिए भी लगा दिया गया है। आकाश में लड़ाकू विमानों को उड़ानें के लिए बहुत भरोसे से दे दिया गया है। खेल सहित अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं ने अपने को आगे बढ़ाया है। इस बार वुमन प्रीमियर लीग में सैकड़ों महिला क्रिकेट खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से अपने परिवार समाज और देश को गौरवान्वित किया है। आज क्रिकेट में बढ़ती महिलाओं की रूचि और भागीदारी ने ही पुरुषों की तरह महिलाओं के क्रिकेट लीग शुरू करने के लिए मजबूर कर दिया है। कई दशकों से इधर देखा जा रहा है कि बोर्ड की परीक्षा चाहे वह यूपी बोर्ड हो,सीबीएसई बोर्ड हो, आईएससी बोर्ड हो सब में लड़कियों ने ही हमेशा बाजी मारी है। वह जानती है कि थोड़ी सी लापरवाही थोड़ी सी चूक उन्हें भारी पड़ जाएगी और उनके बढ़ते कदम पर रोक लग जाएगी। इसीलिए वह ज्यादा समर्पित होकर सजग होकर अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर रहती हैं। यह सही है कि लड़कियों और महिलाओं की इस सफलता में दूरदराज के रूढ़िवादी सोच वाले समाज के उनके परिवार के अभिभावक भी उनके साथ खड़े हैं। तभी वह आगे बढ़ पा रही हैं। आज महिलाओं के लिए परिवार हिम्मत करके संसाधन जुटाकर के उन्हें बाहर शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेज रहे हैं। महिलाएं परिवार के इस भरोसे पर खरी भी उतर रही हैं।यह समाज का बहुत बड़ा बदलाव है।आज महिलाओं की सफलता ने इस धारणा को भी धीरे-धीरे परिवर्तित कर रही हैं कि परिवार और वंश के लिए बेटे ही जरूरी हैं। आज यह कामकाजी और सफल महिलाएं आजीवन अपने माता-पिता की न केवल ख्याल रख रही हैं बल्कि हर तरह से उनकी मदद भी कर रही हैं। जिसे देखकर समाज खुद ही कहा है कि बेटियां किसी तरह से बेटों से कम नहीं है। आधी आबादी की सफलता पर इतना ही कहना चाहूंगी –
हौसले हमने खुद गढ़े हैं देखो मंजर बदल गया है,
शूलों पर चलकर आज यह इतिहास रचा गया है।
वंदना सिंह
प्रवक्ता
चन्द्र शेखर आजाद इंटर कॉलेज
सोरांव, प्रयागराज

Related Posts

Scroll to Top