स्वामी श्रद्धानन्द जी सामाजिक समरसता के अग्रदूत रहे : मीनाक्षी लेखी

  • 97 वें बलिदान दिवस पर स्वामी श्रद्धानंद को दी श्रद्धांजलि।
  • स्वामी श्रद्धानंद ने घर वापसी का मार्ग प्रशस्त किया : राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

नई दिल्ली। शनिवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, महान समाज सुधारक, गुरुकुल कांगड़ी के संस्थापक स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती का 97 वां बलिदान दिवस 14, महादेव रोड़,नई दिल्ली में सोल्लास मनाया गया।

मुख्य अतिथि केन्द्रीय विदेश राज्यमन्त्री मीनाक्षी लेखी ने अपने संदेश में कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द जी का जीवन सामाजिक समरसता को समर्पित था। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार की स्थापना कर पुरातन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया।स्वामी श्रद्धानन्द निर्भीक सन्यासी थे उन्होंने कई मोर्चों पर अंग्रेजी हकूमत से लोहा लिया। उनके जीवन से आज प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि सर्वे भवंतु सुखिना की परंपरा से सनातन की रक्षा होगी महिला शिक्षा को आज भुला नहीं सकते। अगर समाज में आगे बढ़ना है, स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान रंग लाया है, जो आज हम स्वतंत्रता से यज्ञादि श्रेष्ठ कार्य कर सकते हैं।उन्होंने आगे कहा कि आज का युवा नशे की गिरफ्त में है इसलिए आर्य समाजियों को आह्वान किया अपने अपने क्षेत्र में नशा मुक्ति आंदोलन चलाएं। जिससे राष्ट्र की धरोहर युवा पीढ़ी सुरक्षित रह सके।

समारोह अध्यक्ष शिक्षाविद अंजू मेहरोत्रा ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी ने दलितोद्वार का सराहनीय कार्य किया और ऊंच नीच की दीवार को मिटाने में अहम भूमिका निभाई।उनके समाज उत्थान के योगदान को सदैव स्मरण रखा जायेगा।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि स्वामी जी ने धर्मांतरित हिन्दुओं का पुन शुद्धिकरण कर घर वापिसी का मार्ग प्रशस्त किया व इसी के लिए बलिदान हो गए। उन्होने महिलाओं की शिक्षा के लिए जालन्धर में महाविद्यालय की स्थापना की।वह सर्वदानी थे, उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना के लिए अपनी कोठी व प्रेस बेचकर अपना सर्वस्व दान कर दिया।

आचार्या श्रुति सेतिया के ब्रह्मत्व में यज्ञ सम्पन्न हुआ उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने अमृतसर में कांग्रेस अधिवेशन कर अपनी निर्भीकता का परिचय दिया था।

आचार्य गवेंद्र शास्त्री ने कहा कि स्वामी दयानंद जी के प्रवचनों को सुनकर उनके जीवन में बदलाव आया और वे मुंशी राम से स्वामी श्रद्धानन्द बने उन्होंने आर्य समाज को कुशल नेतृत्व प्रदान किया और अनेकों गुरुकुलों की स्थापना की। पार्षद उमंग बजाज ने कहा कि महर्षि दयानंद जी के बाद सबसे अधिक कार्य स्वामी श्रद्धानन्द जी ने संभाला।

भाजपा नेता भारत मदान, पार्षद यशपाल आर्य, प्रवीण आर्य (गाजियाबाद) आदि ने भी अपने विचार रखे। गायक प्रवीन आर्या पिंकी, विजय पाहुजा, नरेश चन्द्र आर्य, कैप्टन अशोक गुलाटी, प्रवीण आर्य, ऋचा गुप्ता, सुभाष दुआ, दया आर्या आदि ने मधुर गीत प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री यशोवीर आर्य, अमर सिंह आर्य, महेन्द्र भाई, रामकुमार आर्य, वेद प्रकाश आर्य, प्रकाशवीर शास्त्री, राजेश मेंहदीरत्ता, डा. प्रमोद सक्सेना, चौधरी मंगल सिंह, यज्ञवीर चौहान, देवेन्द्र गुप्ता, ममता चौहान आदि उपस्थित रहे।

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